Saturday, April 25, 2009

पत्थर से लम्स फूल से

पत्थर से लम्स फूल से खुशबू निकाल दे,
बाकी जो कुछ बचे वो मेरे नाम डाल दे।

क्या फ़र्क पानियों में है इसका न रख ख़याल,
दरिया की नेकियों को समंदर में डाल दे।

सम्तों के रुख पलट के सितारों से बात कर,
तिरछा पड़े जवाब तो सीधा सवाल दे।

नारा बना खड़ा हूँ मैं कब से ज़मीर का,
कोई मुझे भी आके हवा में उछाल दे।

बुकशेल्फ़ से कमीज़ का रिश्ता तुझे बताएं,
लेकिन ज़रा गले से तू टाई निकाल दे।

पूछे जो कोई कौन है तलत जुबां न खोल,
मिटटी ज़रा सी लेके हवा में उछाल दे।
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