मिला था कल जो हमें बहरे - बेकरां की तरहं
भटक रहा है वो अब दशत में फुगाँ क तरहं।
हमारे बाद ज़माने में जुस्तजू वालो,
करोगे याद हमें सई ये रायगाँ की तरहं।
हम उसकी आँख में ज़र्रे से भी हकीर सही,
हम उसके दिल में खटकते हैं आस्मां की तरहं।
वो कैसे कैसे गुलामी के दौर याद आए,
मिला जो हमसे कोई शख्स हुक्मरां की तरहं।
मेरी खुदी का स्वयंवर भी क्या स्वयंवर था
मेरी ही ज़ात ने तोड़ा मुझे कमां की तरहं
उसी के नाम की तख्ती थी सब किवाडों पर,
मेरी खुदी का स्वयंवर भी क्या स्वयंवर था
मेरी ही ज़ात ने तोड़ा मुझे कमां की तरहं
उसी के नाम की तख्ती थी सब किवाडों पर,
जो उठ चुका था किराये पे ख़ुद मकां की तरहाँ।
अब एक बर्फ का सहरा है और हम तलअत,
सुलग रहे हैं समन्दर की दास्ताँ की तरहं।
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